विगत कुछ दिन पहले राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के लोग भारत के प्रधानमंत्री को निमंत्रण देने गए थे कि राम मंदिर बन गया है और उसे मंदिर में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा स्थापित किया जाएगा तो आप सादर आमंत्रित है इसी प्रकार निमंत्रण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी दिया गया है यानी यह कहा जा सकता है कि मंदिर वहीं बनेगा और तारीख भी बता दिया गया है लेकिन भारत की जनता या जानना चाहती है कि यह किस प्रकार हुआ और उसका इतिहास क्या है क्योंकि अयोध्या में प्रभु श्री राम मंदिर का निर्माण अगर देखा जाए तो जब भारत के लोगों के लिए भगीरथ प्रयास ही कहा जाएगा राम मंदिर अयोध्या में राम जन्मभूमि के स्थान पर बनाया जा रहा एक हिंदू मंदिर है जहां रामायण के अनुसार हिंदू धर्म के एक महान प्रमुख राजा प्रभु श्री राम का जन्म स्थान है जिसके कारण की श्री राम जन्मभूमि को तीर्थ क्षेत्र कहा जाता रहा है और 5 अगस्त 2020 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा भूमि पूजन अनुष्ठान किया गया था और मंदिर का निर्माण आरंभ हुआ था यहां पर यह बताते चले कि हिंदू धर्म हिंदू धर्म के देवता राम लाला श्री राम का बाल रूप और उसके उपलक्ष में त्यौहार रामनवमी दिवाली दशहरा है इस मंदिर के वास्तुकार सोमपुरा परिवार निर्माता श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र और लार्सन एंड ट्राइबोधन निर्माण किया जा रहा है निर्माण पूर्ण समय जो है 3 वर्ष 6 मा 3 सप्ताह कुछ दिन है भारत के संविधान में देश को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया है लेकिन आज भी भारतीय राजनीति में धर्म या संप्रदाय की विशेष भूमिका जारी है राम जन्मभूमि विवाद की पृष्ठभूमि के लिए हमें भारतीय इतिहास का खंडन करना होगा वर्तमान अयोध्या नगर में रामायण और अनेक पौराणिक ग में राम जन्म स्थल बताया गया है मुस्लिम शासक के संस्थापक ना के बाद भारत में कई मुस्लिम शासको ने जो कि भारत की पहचान को खत्म करना चाहते थे ऐसे और सहिष्णुता सुल्तानों ने तिथियां को नष्ट करने और उनके स्थान पर मस्जिद की पहचान का कार्य किया गया राम जन्मभूमि का विवाद मुगल राजवंश के संस्थापक बाबर के शासनकाल में हुआ ऐतिहासिक साथियों से यह पता चलता है कि 1528 में बाबर के सेंचुरी दर अमीर अब्दुल बाकि ताशकंदी ने अयोध्या में मंदिर को गिरवा कर अपने स्थान पर मस्जिद बनवाई इस बात की पुष्टि इस बात से होती है कि मथुरा और वाराणसी आदि स्थानों पर भी मुगल शासको द्वारा ऐसी ही मस्जिद का निर्माण कराया गया था जो आज भी मंदिर है 22 दिसंबर 1949 ई विवादित स्थल पर भगवान राम की मूर्तियां पाई गई कहते हैं कि कुछ हिंदुओं ने यह मूर्तियां वहां रखवाई थी मुसलमान ने इस पर विरोध व्यक्त किया और दोनों पक्षों ने अदालत में मुकदमा दायर किया सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित करके ताला लगा दिया 1984 में कुछ हिंदुओं ने विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में भगवान राम के जन्म स्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर का निर्माण करने के लिए एक समिति का गठन किया बाद में इस अभियान का नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संभाल 1986 में जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित मस्जिद के दरवाजे पर से ताला खोलने का आदेश दिया मुसलमान ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति का गठन किया 30 अक्टूबर 1990 को हजारों राम भक्तों ने मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा कड़ी की गई अनेक बढ़ाओ पर कर अयोध्या में प्रवेश किया और विवादित ढांचे के ऊपर भगवान ध्वज फहरा दिया लेकिन दोनों नवंबर 1990 को मुलायम सिंह यादव ने कर सेवकों पर गोली चालवणे का आदेश दिया जिससे सैकड़ो राम भक्तों ने अपने जीवन की आहुति दी वर्तमान निरीक्षण किया जाए तो 2010 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में अपने विवादित स्थलों को लेकर रामलाल सुननी वर्क बोर्ड और निर्मोही क्षेत्र के बीच तीन समानांतर बराबर विचारधारा में बांटने का आदेश दिया 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया 2.7 लैंडस्केप ग्राउंड हिंदू पक्ष को दिया गया मस्जिद के लिए अलग-अलग पांच लैंडस्केप जमीन का आर्डर दिया गया राम जन्मभूमि पर राम मंदिर बनाने का जो सपना सभी ने देखा था यह सपना पूरा 492 वर्ष में हुआ इस तरह अब अयोध्या में श्री राम जी के भव्य मंदिर का निर्माण का रास्ता साफ हो गया है
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