’उन्नत कार्यात्मक सामग्री और सूचना विज्ञान’ विषय पर आयोजित हुआ अल्पकालिक पाठ्यक्रम

वाराणसी. आईआईटी (बीएचयू) में नेशनल मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स (एनएम-आईसीपीएस) के तहत इंटरडिसिप्लिनरी डेटा एनालिटिक्स एंड प्रेडिक्टिव टेक्नोलॉजीज (आई-डीएपीटी) हब फाउंडेशन, अमेरिकन केमिकल सोसाइटी (एसीएस) के सहयोग से उन्नत कार्यात्मक सामग्री और सूचना विज्ञान (एएफएमआई-2023) विषय पर 29 नवंबर-दिसंबर 03, 2023 तक अल्पकालिक पाठ्यक्रम चलाया गया।

इसमें देशभर से विभिन्न वैज्ञानिक विषयों से जुड़े लगभग 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया। पाठ्यक्रम का उद्देश्य कार्यात्मक सामग्री और सूचना विज्ञान में बुनियादी सिद्धांतों, उभरते और अत्याधुनिक अनुसंधान का व्यापक ज्ञान प्रदान करना रहा जो स्नातक, स्नातकोत्तर, अनुसंधान विद्वानों और भाग लेने वाले संकायों के लिए फायदेमंद होगा।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि, मानद प्रोफेसर प्रोफेसर शर्मिला मांडे, प्रतिष्ठित मुख्य वैज्ञानिक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के उद्घाटन मुख्य व्याख्यान के साथ हुई। प्रो. मांडे ने स्वास्थ्य देखभाल में आंत माइक्रोबायोटा के महत्व और बायोरेमेडिएशन-आधारित अनुप्रयोगों के लिए माइक्रोबियल कंसोर्टिया के उपयोग पर जोर दिया। प्रोफेसर निशिथ वर्मा (आईआईटी कानपुर) ने कार्बन-आधारित नैनोमटेरियल्स के मूल सिद्धांतों और अनुप्रयोगों और उत्प्रेरक और पर्यावरण उपचार प्रणालियों में उनके अनुप्रयोगों पर एक मुख्य व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्रोफेसर प्रबल मैती (आईआईएससी, बैंगलोर) ने क्रमशः डेंड्रिमर्स और डीएनए नैनोटेक्नोलॉजी और ऊर्जा, स्वास्थ्य देखभाल और पर्यावरण अनुसंधान में उनके संभावित अनुप्रयोगों पर एक मुख्य व्याख्यान और एक विशेषज्ञ व्याख्यान दियज्ञं

आईआईटी (बीएचयू) के डॉ. पवन शर्मा ने 3डी प्रिंटिंग पर एक व्यावहारिक व्याख्यान दिया और स्वास्थ्य देखभाल, सामग्री निर्माण और 4डी प्रिंटिंग में अनुप्रयोगों के साथ-साथ बुनियादी बातों और अनुसंधान प्रगति को व्यापक रूप से कवर किया। इस बातचीत के बाद आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी के प्रिसिजन इंजीनियरिंग हब में मेटल 3डी प्रिंटिंग, एफडीएम 3डी प्रिंटर और सिरेमिक 3डी प्रिंटर से जुड़ी विभिन्न 3डी प्रिंटिंग तकनीकों पर एक व्यावहारिक सत्र आयोजित किया गया। प्रतिभागियों को विभिन्न सॉफ्टवेयर, परिचालन स्थितियों और उच्च-स्तरीय 3डी प्रिंटिंग मशीनों के लाइव प्रदर्शन से अवगत कराया गया।

प्रो. रेखा एस. सिंघल (आईसीटी मुंबई) ने खाद्य प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के लिए उनकी क्षमता के साथ-साथ हाइड्रोजेल और एरोजेल पर एक व्यावहारिक सत्र प्रस्तुत किया। डॉ. राजीव के. कर (आईआईटी गुवाहाटी) ने कार्बाेनेसियस और पॉलिमरिक सामग्रियों की गतिशीलता गुणों में कम्प्यूटेशनल अंतर्दृष्टि पर चर्चा की। डॉ. कार ने एक इंटरैक्टिव सत्र के साथ पॉलिमरिक्स प्रणालियों के लिए आणविक गतिशीलता के बुनियादी सिद्धांतों को समझाया। प्रो. दिनेश गुप्ता (आईसीजीईबी, नई दिल्ली) ने आणविक जीव विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों पर प्रकाश डालकर, आणविक प्रक्रियाओं, मल्टी-ओमिक्स दृष्टिकोणों को स्पष्ट करते हुए और कम्प्यूटेशनल अध्ययन के क्रांतिकारी प्रभाव को रेखांकित करते हुए सत्र की शुरुआत की, उन्होंने उनके सार पर जोर दिया।

समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि प्रो. विकाश कुमार दुबे (आई-डीएपीटी हब फाउंडेशन के परियोजना निदेशक और आईआईटी (बीएचयू) के डीन (अनुसंधान एवं विकास)) ने बताया कि भविष्य में भी व्यावहारिक सत्रों के साथ-साथ प्रख्यात विशेषज्ञों के साथ सत्र और चर्चाएं आयोजित की जाएंगी। प्रोफेसर आर.के. सिंह (आई-डीएपीटी हब फाउंडेशन के परियोजना समन्वयक) ने कहा कि ने कहा कि इस पाठ्यक्रम की संरचना अपशिष्ट उपयोग, जैव सूचना विज्ञान, कार्यात्मक नैनोमटेरियल्स, डेंड्रिमर्स, डीएनए नैनोस्ट्रक्चर, 3 डी-प्रिंटिंग से जुड़े कार्यात्मक सामग्रियों में उभरते क्षेत्रों पर केंद्रित है। इस पाठ्यक्रम के आयोजन सचिव, डॉ. प्रोद्युत धर और डॉ. आदित्य कुमार पाधी रहे।

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